बेंगलुरु। MUDA case : कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और अन्य से जुड़े एमयूडीए मनी लॉन्ड्रिंग मामले में लगभग 300 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति की 140 से अधिक इकाइयां कुर्क की हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने शुक्रवार को बयान में यह बात की। यह कुर्की मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) द्वारा भूमि आवंटन में कथित अनियमितताओं की मनी लॉन्ड्रिंग जांच को लेकर की गई है।
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कुर्क की गई संपत्तियां विभिन्न व्यक्तियों के नाम पर पंजीकृत
संघीय एजेंसी ने एक बयान में कहा कि कुर्क की गई संपत्तियां विभिन्न व्यक्तियों के नाम पर पंजीकृत हैं जो रियल एस्टेट व्यवसायियों और एजेंटों के रूप में काम कर रहे हैं। कर्नाटक के सीएम सिद्धरमैया पर आरोप है कि उन्होंने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए एमयूडीए द्वारा अधिग्रहित तीन एकड़ 16 गुंटा भूमि के बदले में अपनी पत्नी बीएम पार्वती के नाम पर 14 साइटों का मुआवजा लिया।
एजेंसी ने कहा कि जमीन मूल रूप से एमयूडीए द्वारा 3,24,700 रुपये में अधिग्रहित की गई थी। पॉश इलाके में 14 साइटों के रूप में मुआवजे की कीमत 56 करोड़ रुपये है। वहीं, मुख्यमंत्री से इस मामले में कर्नाटक लोकायुक्त द्वारा पूछताछ की गई है। हालांकि उन्होंने बार-बार अपने या अपने परिवार द्वारा किसी भी गलत काम से इनकार किया है और कहा है कि विपक्ष उनसे डरा हुआ है और ये राजनीति से प्रेरित आरोप हैं।
ये है पूरा मामला (MUDA case)
मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA), कर्नाटक की राज्य स्तरीय विकास एजेंसी है। इस एजेंसी का काम लोगों को किफायती कीमत पर आवास उपलब्ध कराना है। मुडा शहरी विकास के दौरान अपनी जमीन खोने वाले लोगों के लिए एक योजना लेकर आई थी।
50:50 नाम की इस योजना में जमीन खोने वाले लोग विकसित भूमि के 50 प्रतिशत के हकदार होते थे। यह योजना 2009 में पहली बार लागू की गई थी। हालांकि, 2020 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया था।
मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती का नाम भी इसमें शामिल
आरोप है कि योजना के बंद होने के बाद भी मुडा ने 50:50 योजना के तहत जमीनों का अधिग्रहण और आवंटन जारी रखा। आरोप है कि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती को इसी के तहत लाभ पहुंचाया गया। सीएम सिद्धरमैया की पत्नी की 3 एकड़ और 16 गुंटा भूमि मुडा द्वारा अधिग्रहित की गई।
इसके बदले में एक महंगे इलाके में 14 साइटें आवंटित की गईं। मैसूर के बाहरी इलाके के सारे में यह जमीन मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती को उनके भाई मल्लिकार्जुन स्वामी ने 2010 में उपहार स्वरूप दी थी।
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